श्री वैष्णव धाम मंदिर पुष्ट्भूमि
स्वर लहरियो ने कल्पना को साकार कर दिखाया
श्री जागृति महिला मंडल महिलाओ का संस्कृतिक सेतु है । इस संगठन के माध्यम से महिलाओ में अध्यात्मिक चेतना, सामाजिक जागृति, उत्थान एवं प्रगति कि गाँठ जोड़ी जाती है । समाज के विभिन्न एवं सभी तप्को, जिसमे जाति, भाषा एवं अर्चना को बंधन नहीं होता ।
किसी भी जाति, भाषा एवं अर्चना के माध्यम को स्वीकार कि हुयी महिला वह गृहणि हो, उधमी हो, व्यसायी हो, प्रोफेशनल हो केवल कुल मिलकर एक महिला हो उसकी सदस्य हो सकती है । लगभग 15 वर्ष पूर्व तथाकथित संभ्रांत परिवार कि महिलाओ ने मिल बैठकर निर्णय लिया कि कुछ किटी-पार्टियों को कम किया जाये और सामूहिक अर्चना प्रारम्भ कि जाये ।
मात्र 7 महिला मित्रो ने मिलकर एक दोपहर को ढ़ोलक कि थाप पर देवी कि सामूहिक प्रार्थना गा दी । बस यही से "श्री जागृति महिला मंडल" का आधार बन गया । माँ कि दिव्य ज्योति प्रेरणा का स्त्रोत बनी-ज्योति के प्रकाश ने आलोकित किया । माँ कि जय कायकार ने हिम्मत और साहस दिया और शुरू हो गया माँ कि अर्चना का कभी न समाप्त होने वाला सामूहिक यशोगान, गुनागन करता, जगदीश्वरी के आशीष को प्राप्त करने कि इच्छा रखता एक सुगम पथ ।
प्रकाश ने आलोकित किया । माँ कि जय कायकार ने हिम्मत और साहस दिया और शुरू हो गया माँ कि अर्चना का कभी न समाप्त होने वाला सामूहिक यशोगान, गुनागन करता, जगदीश्वरी के आशीष को प्राप्त करने कि इच्छा रखता एक सुगम पथ ।
धीरे-धीरे विभिन्न आयु, वर्ग, भाषा कि महिलाओ का यह संगठन अपने शैशव से उभरकर तने का रूप धारण करने लग गया । संगठन बना तो कुछ निर्णय भी हुये । निर्णय हुए तो कुछ योजनाएं भी बनी. दिशा मिली कि निश्चित समय, निश्चित तिथि एवं निश्चित पूर्व निर्धारित स्थान पर सामूहिक रूप से देवी कि अर्चना कि जाये । मकसद साफ था विभिन्न परिवारो को माँ अम्बे कि ज्योति से आलोकित किया जाये । परिवारो में माँ कि प्रार्थना एवं स्तुति सम्भवतः अपने गर्भ में एक आन्दोलित करते विचार को जन्म दे रही थी, जिसका एहसास तब शायद किसी को न था ।
संयोग देखें-देवी कि प्रार्थना करी, प्रार्थना करते वक्त एक तस्वीर रखी तभी एक ज्योति प्रज्वलित कि, सामूहिक स्तुति से लगा माँ जगदीश्वरी आ गयी और जैसा होता है- उल्हाहित हो परिजनो में हर्ष विभोर हो देवी कि तस्वीर के सामने धन अर्पित करना शुरू कर दिया जैसा की सामान्यत: मंदिरों में दर्शन के दौरान होता है । सहज प्रश्न हुआ कि इस राशि का क्या किया जाये | कई विचार आये निर्णय हुआ, नारी प्रगति, नारी जागृति, नारी उत्थान एवं सामूहिक स्तुति के आराधना स्थल की कल्पना कि गयी ।
आज से लगभग 10 वर्ष पूर्व बहनो ने मिलकर सोचा कि हम अपने अन्य सामाजिक उत्तरदायित्वो के आलावा यदि एक देवी का माँ जगदीश्वरी का एक ऐसा प्रसाद बना है जिसे देखकर मन रोमांचित हो उठे जो भी उसमे आये एक टक उसे निहारता ही जाये इस महान इच्छा के साथ "श्री वैष्णव धाम" कि कल्पना ने जन्म ले लिया।
संगठन के सोचा कि क्या हम चमत्कार कर सकते है ?
कर सकते है एकलव्य से प्रेरणा ले मन में अटूट विश्वास के साथ सब कि एक ही इच्छा कि देवी का सुंदर सा मन को छुता सामान्य से परे विशिष्ट प्रकार का आरधना स्थल बनाया जाये । सारी महिलाएं मिलकर बिना किसी पुरुष कि साथ में इसे मूर्त रूप देने के लिए एक मत से दृंढ संकल्प हो आगे बढ़ी । संयोग एवं सॊभाग्य से श्रीमती सुलोचना स्वर्गीय जगदीश पटेल (तात्कालीन विधायक) ने अतयंत उतरता के साथ 6 हज़ार स्क्वायरफिट भूमि बिचोली मरदाना मुख्य मार्ग पर मुक्त हाथ से दान दे दी और दान भूमि पर ध्वज रोहण किया "श्री वैष्णव धाम" के नाम से।
निरंतर चार वर्षों में "श्री वैष्णव धाम" का निर्माण हो गया तल से लगभग 1800 स्क्वायरफिट का एक विशाल सभागृह बनकर तैयार हो गया। सभागृह सम्पूर्ण तकनीकी मापदण्ड के अनुसार निर्माण किया गया। 14 फुट ऊंचाई वाले सभागृह में लगभग 550 भक्तगण एक साथ बैठ सकते है। इसमें ध्वनि एवं प्रकाश कि समुचित व्यवस्था कि गयी है। योजना कि अनुरूप प्रथम मंजिल पर देवी के मंदिन का निर्माण जैसा कि सामान्यत: ऊचाई पर देवी विराजमान होती है । आराधना स्थल प्रथम मंजिल पर प्रस्तावित किया गया। प्रथम मंजिल पर पहुचने के कि लिए ३१ सीढ़िया और सीढ़ियों का निर्माण भी ऐसा की बच्चो से लेकर वृद्धा तक आसानी से पहुच जाये। सीढ़ियों का प्रारूप भी ऐसा कि जैसे किसी प्रासाद का हिस्सा हो और किसी महल में पहुचने कि लिए महल कि गरिमा बढ़ाये ।
रथम तल पर 18 फूट ऊँचे खम्बो पर मंदिर कि छत खड़ी कि गयी है। मंदिर प्रांगण में गर्भगृह का निर्माण किया गया गर्भगृह के ऊपर भूतल से 65 फुट ऊचाईं का शिखर एवं कलश स्थापित किस गया| शुद्ध मकराना के संगमरमर, मकराना कि बिलसियो एवं ग्रेनाइट से इसे अलंकृत किया गया । इसे इस प्रकार बनाया गया कि इसमें बैठकर चारो और प्रकृति कि अदभुत छटा दिखती है एवं गर्भगृह में ऐसा स्थान बनाया गया जहा माँ शेरावाली माँ काली एवं माँ सरस्वती कि विशाल मुर्तिया स्थापित होगी। मंदिर प्रांगण अपने आप में आर्किटेक्ट का भी उत्कर्ष नमूना होगा । अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिल्पज्ञो द्वारा शुद्ध संगमरमर कि 6-6 फुट ऊँची मुर्तिया जयपुर में निर्मित कि गयी है। श्री जागृति महिला मंडल कि बहनो ने मिलकर निरंतर विभिन्न परिवारो में जा देवी कि ज्योति प्रजवलित कर भजन गा-गाकर मंदिर के पत्थरों को गाड़ रही थी और माँ कि स्तुति, माँ के सामूहिक दर्शन के रूप में मूर्तियो का रूप ले रही थी। नित्य प्रतिदिन गीतो ने ठोस आकार में अपने आप को बदला, कल्पनाये चित्रित होने लगी आल्हात मूर्त रूप में मंदिर में परिवर्तित होने लगी।
अनेकों प्रश्न उठे कि इस विशाल योजना का स्त्रोत क्या है ? क्या ऐसा भी होता है कि आराधना के शब्द तराशे हुए पथरो मे परिवर्तित हो जाते है, बहनो ने यहाँ चमत्कार कर दिखाया। अनेक कठिनाईयों, कभी कभी कुछ विपदाओ के बावजूद अनवरत कार्य चलता रहा और साथ ही ही निर्णय अनुसार श्री शिव अपने परिवार अपने परिजन श्री गणेश, माँ पार्वती एवं श्री कार्तिकेयजी के साथ शिवमंदिर में दर्शन देने हेतु विराजित होने जा रहे है।
दूर से धवल सफ़ेद रोमांचित करता महल का विशाल प्रागण अपनी और आकर्षित कर लेता है । तकनिकी रूप से सक्षम विधृतिकरण किया गया है। भक्तगण के लिए शुद्ध पेयजल, ओजोन जल समुचित मात्रा में उपलब्ध कराया गया है। सम्भवतः इंदौर के पूर्वी क्षेत्र में "श्री वैष्णव धाम" देखने एवं दर्शन करने योग्य एक रोचक कलाकृति होगी। इसके निर्माण में माँ वैष्णव देवी ने स्वयं अपने भक्तो के माध्यम से आर्थिक सहायता जुटाई है। सभी भक्तो ने सम्पूर्ण तन्मयता के साथ सहयोग दिया है। सम्पूर्ण आवश्यकता किसी भी अभाव के कारण अधूरी नहीं रही है|
श्री वैष्णव धाम चेरीटेबल ट्रस्ट | |
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A/C no. 882920100000082 | |
IFSC: BKID0008829 |